जगजीवन
From जैनकोष
बादशाहजहाँगीर के समय में हुए थे। वि.1701 में आपने पं.बनारसीदासजी बिखरी हुई कविताओं का ‘बनारसी विलास’ के रूप में संग्रह किया है। समय–वि.श.17 का अन्त 18 का पूर्व। (ती./4/260)।
बादशाहजहाँगीर के समय में हुए थे। वि.1701 में आपने पं.बनारसीदासजी बिखरी हुई कविताओं का ‘बनारसी विलास’ के रूप में संग्रह किया है। समय–वि.श.17 का अन्त 18 का पूर्व। (ती./4/260)।