पन्नालाल
From जैनकोष
आप संघी गोत्री एक पण्डित थे। पं.सदासुखदासजी के आप शिष्य थे। रत्नचन्द्रजी वैद्य दूनीवाले के पुत्र थे। कृतियाँ -
- राजवार्तिक की भाषावचनिका;
- उत्तरपुराण की भाषावचनिका;
- 27000 श्लोकप्रमाण विद्वद्जन बोधक;
- सरस्वती पूजा आदि। पं. सदासुखदासजी (ई. 1795-1867) के अनुसार आप का समय - ई. 1770-1840 आता है। (अर्थ प्रकाशिका/प्र. 5/पं. पन्नालाल); ( रत्नकरण्ड श्रावकाचार/ प्र. 24/पं. परमानन्द)।