लक्षण पंक्ति व्रत
From जैनकोष
किसी भी दिन से प्रारम्भ करके एक उपवास एक पारणा क्रम से 204 उपवास पूरे करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। अपरनाम दिव्य लक्षणपंक्ति व्रत है। ( हरिवंशपुराण/34/133 ); (व्रतविधान सं./102)।
किसी भी दिन से प्रारम्भ करके एक उपवास एक पारणा क्रम से 204 उपवास पूरे करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। अपरनाम दिव्य लक्षणपंक्ति व्रत है। ( हरिवंशपुराण/34/133 ); (व्रतविधान सं./102)।