विपुलाचल
From जैनकोष
राजगृह नगर की पाँच पहाड़ियों में तीसरी पहाड़ी । यह राजगृह नगर के दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य में त्रिकोण आकृति से स्थित है । इंद्र ने तीर्थंकर महावीर के प्रथम धर्मोपदेश के लिए यहाँ समवसरण रचा था । तीर्थंकर महावीर विहार करते हुए संघ सहित यहाँ आये थे । गौतम गणधर का तपोवन इसी पर्वत के चारों ओर था । जीवंधर-स्वामी इसी पर्वत से कर्मों का नाश करके मोक्ष गये । इसका अपर नाम विपुलाद्रि है । महापुराण 1.196, 2.17, 74.385, 75.687, पद्मपुराण 2.102-109, हरिवंशपुराण 3.54-59, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.84 देखें राजगृह