विशेष नय
From जैनकोष
प्रवचनसार/तत्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं. तत्तु द्रव्यनयेन पटमात्रवच्चिन्मात्रम् ।१। पर्यायनयेन तन्तुमात्रवद्दर्शनज्ञानादिमात्रम् ।२। विकल्पनयेन शिशुकुमारस्थविरैकपुरुषवत्सविकल्पम् ।१०। अविकल्पनयेनैकपुरुषमात्रवदविकल्पम् ।११। सामान्यनयेन हारस्रग्दामसूत्रवद्व्यापि।१६। विशेषनयेन तदेकमुक्ताफलवदव्यापि।१७। नित्यनयेन नटवदवस्थायि।१८। ....... ।४७।=।१।. आत्मद्रव्य द्रव्यनय से, पटमात्र की भांति चिन्मात्र है। ।२।. पर्यायनय से वह तन्तुमात्र की भांति दर्शनज्ञानादि मात्र है। ।१०।. विकल्पनय से बालक, कुमार, और वृद्ध ऐसे एक पुरुष की भांति सविकल्प है। ।११।. अविकल्पनय से एक पुरुषमात्र की भांति अविकल्प है। ।१६।. सामान्य नय से हार माला कण्ठी के डोरे की भांति व्यापक है। ।१७।. विशेष नय से उसके एक मोती की भांति, अव्यापक है। ।१८।. नित्यनय से, नट की भांति अवस्थायी है। ........।
देखें नय - I.5।