शलाका पुरुष सामान्य निर्देश
From जैनकोष
1. शलाका पुरुष सामान्य निर्देश
1. 63 शलाका पुरुष नाम निर्देश
तिलोयपण्णत्ति/4/510-511 एत्तो सलायपुरिसा तेसट्ठी सयलभवणविक्खादा। जायंति भरहखेत्ते णरसीहाकेण।510। तित्थयरचक्कबलहरिपडिसत्तु णाम विस्सुदा कमसो। बिउणियबारसबारस पयत्थणिधिरंधसंखाए।511। = अब यहाँ से आगे (अन्तिम कुलकर के पश्चात्) पुण्योदय से भरतक्षेत्र में मनुष्यों में श्रेष्ठ और सम्पूर्ण लोक में प्रसिद्ध तिरेसठ शलाका पुरुष उत्पन्न होने लगते हैं।510। ये शलाका पुरुष तीर्थंकर 24, चक्रवर्ती 12, बलभद्र 9, नारायण 9, प्रतिशत्रु 9, इन नामों से प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार उनकी संख्या 63 है।511। ( त्रिलोकसार/803 ), ( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/2/179-184 ), ( गोम्मटसार जीवकाण्ड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/361-362/-773/3 )।
तिलोयपण्णत्ति/4/1615; 1619 ...हुंडावसप्पिणी स। एक्का...।1615। दुस्समसुसमे काले अट्ठावणा सलायपुरिसा य।1619। =हुंडावसर्पिणी काल में 58 ही शलाका पुरुष होते हैं।
2. 169 शलाका पुरुष निर्देश
तिलोयपण्णत्ति/4/1473 तित्थयरा तग्गुरओ चक्कीबलकेसिरुद्दणारद्दा। अंगजकुलियरपुरिसा भविया सिज्झंति णियमेण।1473। =24 तीर्थंकर, उनके गुरु (24 पिता, 24 माता), 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 नारायण, 11 रुद्र, 9 नारद, 24 कामदेव और 14 कुलकर ये सब भव्य होते हुए नियम से सिद्ध होते हैं।1473। (इनके अतिरिक्त 9 प्रतिनारायण ऊपर गिना दिये गये हैं। ये सब मिलकर 169 दिव्य पुरुष कहे जाते हैं।)
3. शलाका पुरुषों का मोक्ष प्राप्ति सम्बन्धी नियम
तिलोयपण्णत्ति/4/1473 तित्थयरा तग्गुओ चक्कीबलकेसिरुद्दणारद्दा। अंगजकुलियरपुरिसा भविया सिज्झंति णियमेण।1473। =तीर्थंकर, उनके गुरु (पिता व माता), चक्रवर्ती, बलदेव, नारायण, रुद्र, नारद, कामदेव और कुलकर ये सब (प्रतिनारायण को छोड़कर 160 दिव्य पुरुष) भव्य होते हुए नियम से (उसी भव में या अगले 1, 2 भवों में) सिद्ध होते हैं।1473।
4. शलाका पुरुषों का परस्पर मिलाप नहीं होता
हरिवंशपुराण/54/59-60 नान्योन्यदर्शनं जातु चक्रिणां धर्मचक्रिणाम् । हलिनां वासुदेवानां त्रैलोक्ये प्रतिचक्रिणाम् ।59। गतस्य चिह्नमात्रेण तव तस्य च दर्शनम् । शङ्खस्फीटनिनादैश्च रथ ध्वजनिरीक्षणै:।60। =तीन लोक में कभी चक्रवर्ती-चक्रवर्तियों का, तीर्थंकर-तीर्थंकरों का, बलभद्र-बलभद्रों का, नारायण-नारायणों का और प्रतिनारायण-प्रतिनारायणों का परस्पर मिलाप नहीं होता। तुम (धातकी खण्ड का कपिल नामक नारायण) जाओगे तो चिह्न मात्र से ही उसका (कृष्ण नारायण का) और तुम्हारा मिलाप होगा। एक दूसरे के शंख का शब्द सुनना तथा रथों की ध्वजाओं का देखना इन्हीं चिह्नों से तुम्हारा उसका साक्षात्कार हो सकेगा।59-60।
5. शलाका पुरुषों के शरीर की विशेषता
तिलोयपण्णत्ति/4/1371 आदिमसंहण्ण जुदा सव्वे तवणिज्जवण्णवरदेहा। सयलसुलक्खण भरिया समचउरस्संगसंठाणा।1371। =सभी वज्रऋषभ नाराच संहनन से सहित, सुवर्ण के समान वर्ण वाले, उत्तमशरीर के धारक, सम्पूर्ण सुलक्षणों से युक्त और समचतुरस्र रूप शरीरसंस्थान से युक्त होते हैं।1371।
बोधपाहुड़/ टी./32/98 पर उद्धृत-देवा वि य णेरइया हलहरचक्की य तह य तित्थयरा। सव्वे केसव रामा कामानिक्कंचिया होंति।=सर्व देव, नारकी, हलधर (बलदेव), चक्रवर्ती, तीर्थंकर, केशव (नारायण) राम और कामदेव मूँछ-दाढ़ी से रहित होते हैं।