अकलंक त्रैविद्य देव
From जैनकोष
( धवला पुस्तक 2/प्र.4/ H.L.Jain नन्दिसंघ के देशिय गण की गुर्वावली के अनुसार यह गण्डविमुक्तदेव के शिष्य थे। त्रैविद्यदेव आपकी उपाधि थी। समय - वि. 1225-1239 (ई.1158-1182) आता है। विशेष - देखें इतिहास - 7.5।
( धवला पुस्तक 2/प्र.4/ H.L.Jain नन्दिसंघ के देशिय गण की गुर्वावली के अनुसार यह गण्डविमुक्तदेव के शिष्य थे। त्रैविद्यदेव आपकी उपाधि थी। समय - वि. 1225-1239 (ई.1158-1182) आता है। विशेष - देखें इतिहास - 7.5।