सागारधर्म
From जैनकोष
गृहस्थ धर्म-पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत । इन बारह व्रतों का धारण करना तथा धन-संपदा में संतोष रखना, इंद्रिय विषयों में अनासक्त रहना, कषायों को कृश करना और ज्ञानियों की विनय करना सागार-धर्म है । पद्मपुराण 4.46, 6. 288-289