संघात ज्ञान
From जैनकोष
षट्खंडागम 13/5,5 गाथा 1 व सूत्र 48/260 पज्जय-अक्खर पद-संघादयपडिवत्ति-जोगदाराइं। पाहुडपाहुडवत्थू पुव्वसमासाय बोद्धव्वा।1। पज्जयावरणीयं पज्जयसमासावरणीयं अक्खरावरणीयं अक्खरसमासावरणीयं पदावरणीयं पदसमासावरणीयं संघादावरणीयं संघातसमासावरणीयं पडिवत्तिआवरणीयं पडिवत्तिसमासावरणीयं अणियोगद्दारावरणीयं अणियोगद्दारसमासावरणीयं पाहुडपाहुडावरणीयं पाहुडपाहुडसमासावरणीयं पाहुडावरणीयं पाहुडसमासावरणीयं वत्थुआवरणीयं वत्थुसमासावरणीयं पुव्वावरणीयं पुव्वसमासावरणीयं चेदि।48। 1. पर्याय, पर्यायसमास, अक्षर, अक्षरसमास, पद, पदसमास:, संघात, संघात समास, प्रतिपत्ति, प्रतिपत्तिसमास, अनुयोगद्वार, अनियोगद्वारसमास, प्राभृतप्राभृत, प्राभृत-प्राभृतसमास, प्राभृत, प्राभृतसमास, वस्तु, वस्तुसमास, पूर्व और पूर्व समास, ये श्रुतज्ञान के बीस भेद जानने चाहिए।1। 2. पर्याय ज्ञानावरणीय, पर्यायसमास ज्ञानावरणीय, अक्षरावरणीय, अक्षरसमासावरणीय, पदावरणीय, पदसमासावरणीय, संघातावरणीय, संघातसमासावरणीय, प्रतिपत्ति-आवरणीय, प्रतिपत्तिसमासावरणीय, अनुयोगद्वारावरणीय, अनुयोगद्वारसमासावरणीय, प्राभृतप्राभृतावरणीय, प्राभृतप्राभृतसमासावरणीय, प्राभृतावरणीय, प्राभृतसमासावरणीय, वस्तु आवरणीय, वस्तुसमासावरणीय, पूर्वावरणीय, पूर्वसमासावरणीय, ये श्रुतावरण के बीस भेद हैं।48।
अधिक जानकारी के लिये देखें श्रुतज्ञान - II.1.2।