कुप्य
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से ==
सर्वार्थसिद्धि/7/29/368/9 कुप्यं क्षौमकार्पासकौशेयचंदनादि।=रेशम, कपास और कोसा के वस्त्र तथा चंदन आदि कुप्य कहलाता है। ( राजवार्तिक/7/29/1/555/10 )।
पुराणकोष से
बर्तन तथा वस्त्र आदि । हरिवंशपुराण 18-176
== सिद्धांतकोष से ==
सर्वार्थसिद्धि/7/29/368/9 कुप्यं क्षौमकार्पासकौशेयचंदनादि।=रेशम, कपास और कोसा के वस्त्र तथा चंदन आदि कुप्य कहलाता है। ( राजवार्तिक/7/29/1/555/10 )।
बर्तन तथा वस्त्र आदि । हरिवंशपुराण 18-176