अभिधान
From जैनकोष
द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा संख्या १/७/५ यदेव व्याख्येयसूत्रमुक्तं तदेवाभिधानं वाचकं प्रतिपादकं भण्यते।
= जो व्याख्यान किये जाने योग्य सूत्र कहे गये हैं, वही अभिधान अर्थात् वाचक या प्रतिपादक कहलाते हैं।
द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा संख्या १/७/५ यदेव व्याख्येयसूत्रमुक्तं तदेवाभिधानं वाचकं प्रतिपादकं भण्यते।
= जो व्याख्यान किये जाने योग्य सूत्र कहे गये हैं, वही अभिधान अर्थात् वाचक या प्रतिपादक कहलाते हैं।