ऋतु
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
1. कालका प्रमाण विशेष देखें गणित - I.1.4। 2. सौधर्म स्वर्गका प्रथम पटल व इंद्रक - देखें स्वर्ग - 5.3।
पुराणकोष से
(1) सौधर्म ओर ऐशान नामक आरंभ के दो स्वर्गों का इंद्रक विमान । इसकी चारों दिशाओं में तिरेसठ विमान है । आगे प्रत्येक इंद्रक में एक-एक विमान कम होता जाता है । महापुराण 1367, हरिवंशपुराण 6.42-44
(2) सौधर्म और ऐशान स्वर्गों का एक पटल । हरिवंशपुराण 6. 42-44
(3) दो मास का समय । हरिवंशपुराण 7.21
(4) स्त्री की रज शुद्धि से लेकर पंद्रह दिन का काल-ऋतुकाल । महापुराण 38.134