ऋषि पंचमी व्रत
From जैनकोष
(व्रतविधान संग्रह 106) -
कुल समय = 5 वर्ष 5 मास;
उपवास संख्या = 65;
विधि = आषाढ़ शुक्ल 5 से प्रारंभ करके प्रति मासकी दो-दो पंचमियोंको उपवास करे;
जाप्यमंत्र = नमस्कार मंत्रका त्रिकाल जाप्य करे।
(व्रतविधान संग्रह 106) -
कुल समय = 5 वर्ष 5 मास;
उपवास संख्या = 65;
विधि = आषाढ़ शुक्ल 5 से प्रारंभ करके प्रति मासकी दो-दो पंचमियोंको उपवास करे;
जाप्यमंत्र = नमस्कार मंत्रका त्रिकाल जाप्य करे।