एवंभूतनय
From जैनकोष
एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इंद्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इंद्र कहना अन्य समय में नहीं । हरिवंशपुराण 58. 41-49
एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इंद्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इंद्र कहना अन्य समय में नहीं । हरिवंशपुराण 58. 41-49