द्विज
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें ब्राह्मण ।
पुराणकोष से
इज्या, वार्ता, दत्ति, स्वाध्याय, संयम और तप― इन छ: विशुद्ध वृत्तियों का धारक व्यक्ति । एक बार गर्भ से और दूसरी बार संस्कारों से जन्म होने के कारण ऐसे व्यक्ति द्विज कहलाते हैं । महापुराण 38.24,42, 47-48, 40.149 द्विजत्व के ज्ञान और विकास के लिए इनके दस कर्त्तव्य होते हैं― अतिबाल-विद्या, कुलावधि, वर्णोत्तमत्व, पात्रत्व, सृष्ट्यधिकारिता, व्यवहारेशिता, अवध्यता, अदंड्यता, मानर्हिता और प्रजासंबंधांतर । उपासकाध्ययन में इन्हीं दस कर्तव्यों को दस अधिकारों के रूप में वर्णित किया गया है । महापुराण 40. 174-177