भोगोपभोगसंख्यान
From जैनकोष
त्रिविध गुणव्रतों में एक गुणव्रत । इसमें भोग और उपभोग को वस्तुओं का परिमाण किया जाता है । इंद्रिय-विषयों को जीतने के लिए ऐसा करना आवश्यक है । इसके पाँच अतिचार हैं—1. सचित्ताहार 2. सचित्तसंबंधाहार 3. सचित्तसन्मिश्राहार 4. अभिषवाहार 5. दुष्पक्वाहार । इसका दूसरा नाम (भोगोपभोगपरिमाण) उपभोग-परिभोग परिमाणव्रत है । पद्मपुराण 14.198 हरिवंशपुराण 58. 182, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.51