सुरेंद्रवर्धन
From जैनकोष
विजयार्ध पर्वत पर रहने वाला विद्याधर । किसी निमित्तज्ञानी ने इसकी पुत्री का और द्रौपदी का पति गांडीव-धनुष चढ़ाने वाला बताया था । निमित्तज्ञानी के कथनानुसार इसने और राजा द्रुपद ने गांडीव-धनुष के द्वारा राधा की नाक में पहनाये गये मोती को भेदने वाले वीर पुरुष के लिए अपनी-अपनी कन्या देने की घोषणा की थी । अंत में अर्जुन ने बाण चढ़ाकर घूमती हुई राधा की नाक का मोती भेदकर शुभ लग्न में इस विद्याधर की कन्या और द्रौपदी दोनों का पाणिग्रहण किया था । हरिवंशपुराण 45.126-127, पांडवपुराण 15. 54-56, 65-67, 109-110, 219