संकट हरण व्रत
From जैनकोष
तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.13 से शु.15 तक उपवास। तथा 'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शांति कुरु कुरु स्वाहा' इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./42)।
तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.13 से शु.15 तक उपवास। तथा 'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शांति कुरु कुरु स्वाहा' इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./42)।