व्यापार
From जैनकोष
राजवार्तिक/1/1/1/3/28 व्यापृतिर्व्यापारः अर्थप्रापणसमर्थः क्रियाप्रयोगः। = ‘व्यापृतिर्व्यापारः’ इस व्युत्पत्ति के अनुसार अर्थ प्राप्त करने की समर्थ क्रिया प्रयोग को व्यापार कहते हैं।
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/205/279/8 चिच्चमत्कारप्रतिपक्षभूत आरंभो व्यापारः। = चिच्चमत्कार मात्र जो ज्ञाता द्रष्टाभाव उससे प्रतिपक्षभूत आरंभ का नाम व्यापार है।