अश्वकर्णक्रिया
From जैनकोष
चारित्र मोह की क्षपणा विधि । इसमें चारों कषायों की क्षीणता होती जाती है । इस क्रिया की विधि को वृषभदेव ने अनिवृत्तिकरण नाम के नवें गुणस्थान में ही पूर्ण किया । (महापुराण 20.259)
चारित्र मोह की क्षपणा विधि । इसमें चारों कषायों की क्षीणता होती जाती है । इस क्रिया की विधि को वृषभदेव ने अनिवृत्तिकरण नाम के नवें गुणस्थान में ही पूर्ण किया । (महापुराण 20.259)