उक्तिकौशल
From जैनकोष
भाषण कला । यह स्थान, स्वर, संस्कार, विन्यास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित (पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग), समानार्थत्व (एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का प्रतिपादन) और भाषा इन सबसे युक्त होती है । पद्मपुराण 24.27-35
भाषण कला । यह स्थान, स्वर, संस्कार, विन्यास, काकु, समुदाय, विराम, सामान्याभिहित (पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग), समानार्थत्व (एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का प्रतिपादन) और भाषा इन सबसे युक्त होती है । पद्मपुराण 24.27-35