द्वादश-गण
From जैनकोष
द्वादश सभा-तीर्थंकर के समवसरण में उनकी गंधकुटी को चारों ओर से घेरे हुए बारह सभा-कोष्ठ । इनमें क्रमश: गणधर आदि मुनि, कल्पवासिनी-देवियाँ, आर्यिकाएँ और स्त्रियाँ, भवनवासिनीदेवियाँ, व्यंतरिणी-देवियाँ, ज्योतिष्क देवियां, भवनवासी-देव, व्यंतरदेव, ज्योतिष्क-देव, कल्पवासी-देव, मनुष्य और तिर्यंच बैठते हैं । महापुराण 23.193-194, 48-49, हरिवंशपुराण - 2.66,हरिवंशपुराण - 2.42.43