परिहार
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
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पुराणकोष से
प्रायश्चित के नौ भेदों में आठवाँ भेद । पक्ष, मास आदि एक निश्चित समय के लिए दोषी मुनि को संघ से दूर कर देना परिहार कहलाता हूँ । हरिवंशपुराण 64.28, 37