भोजनांग
From जैनकोष
कल्पवृक्षों की एक जाति । ये भोगभूमि के मनुष्यों के लिए इच्छित छ: प्रकार के रसों से परिपूर्ण, अत्यंत स्वादिष्ट खाद्य, स्वाद्य, लेह्य और पेय के भेद से चार प्रकार की भोजन सामग्री प्रदान करते हैं । महापुराण 9.35-36,45, हरिवंशपुराण 7.80, 85, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.91-92