मिश्रगुणस्थान
From जैनकोष
तीसरा गुणस्थान । इसका अपर नाम सम्यग्मिथ्यादृक् है । इसमें जीव के परिणाम सम्यक और मिथ्यात्व से मिश्रित होते हैं । ऐसे परस्पर विरुद्ध परिणामधारी जीवों के अंतःकरण सुख और दुःख दोनों से मिश्रित रहते हैं । हरिवंशपुराण 3.80, 92, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.58