कल्याणमाला
From जैनकोष
–(प.पु./३४/श्लो.नं०) बाल्यखिल्य की पुत्री थी। अपने पिता की अनुपस्थिति में पुरूषवेश में राज्यकार्य करती थी।४०-४८। राम लक्ष्मण द्वारा अपने पिता को म्लेच्छों की बन्दी से मुक्त हुआ जान (७९-९७) उसने लक्ष्मण को वर लिया (८०-११०)।