कालानुयोग 14
From जैनकोष
१४. <a name="14" id="14">मोहनीय के चतु: सत्त्व विषयक ओघ आदेश प्ररूपणा
नं. |
विषय |
नानाजीवापेक्षया |
एकजीवापेक्षया |
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विषय |
पद विशेष |
मूल प्रकृति |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्रकृति |
उत्तर प्रकृति |
(क०पा०/पु.../.../पृष्ठ नं....) |
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१ |
प्रकृति |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
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१ |
पेज्ज दोष अपेक्षा |
१/३९० /४०५-४०६ |
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१/३६९-३७२/३८५-३८६ |
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२ |
प्रकृति अपेक्षा |
२/८१-९८/७१-७३ |
२/१८३- /१७१-१७३ |
२/४८-६३/२७-४४ |
२/११८-१३७/९१-१२३ |
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|
३ |
२४-२८प्रकृति स्थानापेक्षा |
२/३७०-३७७/३३४-३४४ |
२/३७०-३७७/३३४-३४४ |
२/२६८-३०७/२३३-२८१ |
२/२६८-३०७/२३३-२८१ |
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|
|
भुजगारादि पद प्रकृति की अपेक्षा |
२/४६०-४६३/४१४-४१९ |
२/४६०-४६३/४१४-४१९ |
२/४२२-४३७/३८७-३९७ |
२/४२२-४३७/३८७-३९७ |
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|
हानि वृद्धि पद प्रकृति की अपेक्षा |
२/५२५-५२८/४७०-४७५ |
२/५२५-५२८/४७०-४७५ |
२/४८९-४९७/४४२-४४८ |
२/४८९-४९७/४२२-४४८ |
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२ |
स्थिति |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
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१ |
पेज्ज दोष अपेक्षा |
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२ |
प्रकृति अपेक्षा |
३/१४२-१५४/१८०-१८७ |
३/६४७-६७२/३८७-४०६ |
३/४४-८२/२५-४७ |
३/४७७-५३७/२६६-३१६ |
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३ |
२४-२४ प्रकृति स्थानापेक्षा |
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भुजगारादि पद प्रकृति अपेक्षा |
३/२१३-२१७/१२१-१२३ |
४/१२६-१४२/६७-७४ |
३/१७४-१८७/९८-१०८ |
४/२५-७०/१४-४२ |
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|
हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा |
३/३१९-३२७/१७५-१८० |
४/ /२५१-२६० |
३/२५९-२७२/१४१-१४९ |
४/२७४-३१४/१६४-१९१ |
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३ |
अनुभाग |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
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१ |
पेज्ज दोष अपेक्षा |
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२ |
प्रकृति अपेक्षा |
५/१२१-१३०/७७-८५ |
५/३६८-३९०/२३३-२४० |
५/२९-५९/२०-४३ |
५/२७७-३२०/१८५-२०१ |
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३ |
२४-२८प्रकृति स्थानापेक्षा |
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भुजगारादि पद |
५/१५७-१५८/१०४-१०५ |
५/५०१-५०४/२९३-२९५ |
५/१४३-१४६/९३-९६ |
५/४७६-४८०/२७६-२८० |
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हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा |
५/१८२- /१२२-१२३ |
५/५५८-५६१/३२४-३२६ |
५/१७२-१७३/११४-११६ |
५/५३६-५३९/३०१-३१२ |
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४ |
प्रदेश |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
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१ |
पेज्ज दोष अपेक्षा |
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२ |
प्रकृति अपेक्षा |
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३ |
२४-२८प्रकृति स्थानापेक्षा |
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भुजगारादि पद प्रकृति अपेक्षा |
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हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा |
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