क्षेत्र - लेश्या
From जैनकोष
- लेश्या मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
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नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
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३५७ |
कृष्णनील कापोत |
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सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणान्तिक वत् |
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३५८ |
तेज (देवप्रधान) |
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त्रि/असं,ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं,ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं,ति/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
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३५९ |
पद्म |
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तेज (तिर्यंच प्रधान) |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
च/असं, म×असं |
त्रि×असं, ति/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
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३५९ |
शुक्ल |
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च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
मूलोघ वत् |
१२८ |
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कृष्णानील कापोत् |
१ |
— |
— |
स्वओघवत् |
— |
— |
— |
— |
१२८ |
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कृष्णानील कापोत् |
२-४ |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् |
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१२९ |
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तेज |
१ |
— |
— |
स्वओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१३० |
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२-७ |
— |
— |
मूल ओघ वत् |
— |
— |
— |
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१३० |
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पद्म |
१ |
— |
— |
स्वओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१३० |
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२-७ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१३० |
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शुक्ल |
१ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१३० |
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२-१३ |
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मूलोघ वत् |
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