क्षेत्र - आहारक
From जैनकोष
- आहारक मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
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नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
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३६६ |
आहारक |
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सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणान्तिक वत् |
केवल दण्ड कपाट समु० मूलोघ वत् |
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३६६ |
अनाहारक |
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सर्व |
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सर्व |
केवल प्रतर व लोकपूर्ण मूलोघवत् |
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१३७ |
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आहारक |
१ |
— |
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स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
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१३७ |
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२-४ |
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मूलोघ वत् |
— |
— |
शरीर ग्रहण के प्रथम समय में मूलोघ वत् |
केवल दण्ड व प्रतर मूलोघ वत् |
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१३७ |
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अनाहारक |
१ |
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सर्व |
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१३७ |
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२-४ |
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च/असं, म×असं |
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१३७ |
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१३ |
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प्रतर व लोक पूर्ण मूलोघ वत् |