क्षेत्र - दर्शन
From जैनकोष
- दर्शन मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
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नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
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३५६ |
चक्षुदर्शन |
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त्रि/असं,ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं,ति/सं, म×असं |
त्रि/असं, ति/सं, म×असं |
त्रि/असं,ति/असं, म×असं |
मारणान्तिक वत् केवल लब्ध्यपेक्षा |
तै० व आ०ओघवत् केवली समुद्घात नहीं |
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३५६ |
अचक्षुर्दर्शन |
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नपुंसक वेद वत् |
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३५७ |
अवधिदर्शन |
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अवधि ज्ञान वत् |
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३५७ |
केवलदर्शन |
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केवल ज्ञान वत् |
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१२६ |
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चक्षुर्दर्शन |
१ |
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स्व ओघ वत् |
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१२७ |
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२-१२ |
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मूलोघ वत् |
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१२७ |
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अचक्षुदर्शन |
१-१४ |
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मूलोघ वत् |
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१२७ |
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अवधिदर्शन |
४-१२ |
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अवधि ज्ञान वत् |
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१२७ |
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केवलदर्शन |
१३-१४ |
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केवल ज्ञान वत् |
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