गुणभद्र
From जैनकोष
- पंचस्तूप संघी, तथा महापुराण और जयधवला शेष के रचयिता आ.जिनसेन द्वि.के शिष्य। कृति–अपने गुरु कृत महापुराण को उत्तरपुराण की रचना करके पूरा किया। आत्मानुशासन, जिनदत्त चरित। समय–शक ८२० में उत्तर पुराण की पूर्ति (ई.८७०-९१०)। (ती./३/८,९)।
- माणिक्यसेन के शिष्य सिद्धान्तवेत्ता। कृति–धन्यकुमार चरित, ग्रन्थ रचना काल चन्देलवंशी राजा परमार्दि देव के समय (ई.११८२)। (ती./४/५९)।
- काष्ठा संघ माथुर गच्छ मलय कीर्ति के शिष्य ‘रइधु’ के समकालीन अपभ्रंश कवि। कृति–सावण वारसि विहाण कहा, पक्खइ वय कहा, आयास पंचमी कहा, चंदायण वय कहा इत्यादि १५ कथायें। समय–वि.श. १५ का अन्त १६ का पूर्व (ई.श.१५ उत्तरार्ध) (ती./४/२१६)।