क्रमभाव
From जैनकोष
परीक्षामुख परिच्छेद 3/16
सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः।
= अविनाभाव संबंध दो प्रकार का है - एक सहभाव, दूसरा क्रमभाव।
3. सहभाव व क्रमभाव अविनानाभाव के लक्षण
परीक्षामुख परिच्छेद 3/17-18
सहचारीणोर्व्याप्यव्यापकभावयोश्व सहभावः ॥17॥ पूर्वोत्तरचारणोः कार्यकारणयोश्च कर्मभावः ॥18॥
= साथ रहनेवाले में तथा व्याप्य और व्यापक पदार्थों में सहभाव नियम नाम का अविनाभाव होता है। जैसे द्रव्य व गुण में ॥17॥ पूर्वचर व उत्तरचरों में तथा कार्यकारणों में क्रमभावी नियम होता है। जैसे - मेघ व वर्षा में ॥18॥
देखें अविनाभाव ।