केकसी
From जैनकोष
कौतुकमंगल नगर के निवासी विद्याधर व्योम-बिंदु और उसकी भार्या नंदवती की छोटी पुत्री और कौशिकी की अनुजा । इंद्र से पराजित होने के पश्चात् अपनी विभूति को पुन: पाने के लिए सुमाली के पुत्र रत्नश्रदा ने अध्ययन में मानस्तंभिनी विद्या की सिद्धि की । साधनाकाल में रत्नश्रवा की परिचर्या के लिए व्योमबिंदु ने इसे नियुक्त किया । विद्या के सिद्ध होते ही व्योमबिंदु ने इसका विवाह रत्नश्रवा के साथ कर दिया । इसके तीन पुत्र हुए और एक पुत्री । पुत्रों के नाम थे-दशानन, भानुकर्ण, और विभीषण और पुत्री का नाम था चंद्रनखा । पद्मपुराण 7.126-147, 165, 222-225, 106.171