कारुण्य
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/11/349/8 दीनानुग्रहभाव: कारुण्यम्। = दीनों पर दयाभावा रखना कारुण्य है। ( राजवार्तिक/7/11/3/538/19 ) ( ज्ञानार्णव/27/8-10 )
देखें करुणा ।
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पुराणकोष से
संवेग और वैराग्य के लिए साधनभूत तथा अहिंसा के लिए आवश्यक मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ इन चार भावनाओं में तृतीय भावना । इसमें दीन-दु:खी जीवों पर दया के भाव होते हैं । महापुराण 20-65