उपधि वाक्
From जैनकोष
राजवार्तिक/1/20/12/75/12 ... यां वाचं श्रुत्वा परिग्रहार्जनरक्षणादिष्वासज्यते सोपधिवाक्। ... = जिसे सुनकर परिग्रह के अर्जन, रक्षण आदि में आसक्ति उत्पन्न हो वह उपधिवाक् है।
देखें वचन ।
राजवार्तिक/1/20/12/75/12 ... यां वाचं श्रुत्वा परिग्रहार्जनरक्षणादिष्वासज्यते सोपधिवाक्। ... = जिसे सुनकर परिग्रह के अर्जन, रक्षण आदि में आसक्ति उत्पन्न हो वह उपधिवाक् है।
देखें वचन ।