आज्ञापिनी भाषा
From जैनकोष
भगवती आराधना / विजयोदयी टीका/1195-1196/1193 आमंतणि आणवणी जायणि संपुच्छणी य पण्णवणी। पच्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य।1195। संसयवयणी य तहा असच्चमोसा य अट्ठमी भासा। णवमी अणण्क्खरगदा असच्चमोसा हवदि णेया।1196। टीका- .... स्वाध्यायं कुरुत, विरमतासंयमात् इत्यादिका अनुशासनवाणी आनवणी। ......।
- आज्ञापनी भाषा–जैसे स्वाध्याय करो, असंयम से विरक्त हो जाओ, ऐसी आज्ञा दी हुई क्रिया करने से सत्यता और न करने से असत्यता इस भाषा में है, इसलिए इसको एकांत रीति से सत्य भी नहीं कहते और असत्य भी नहीं कह सकते हैं।
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