दर्शनमोह
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें मोहनीय ।
पुराणकोष से
मोहनीय कर्म का आद्य भेद । केवली, श्रुत, संघ, धर्म तथा देव का अवर्णवाद करने से इस कर्म का आस्रव होता है । इससे सम्यग्दर्शन का घात होता है । महापुराण 9. 117, हरिवंशपुराण - 58.96
देखें मोहनीय ।
मोहनीय कर्म का आद्य भेद । केवली, श्रुत, संघ, धर्म तथा देव का अवर्णवाद करने से इस कर्म का आस्रव होता है । इससे सम्यग्दर्शन का घात होता है । महापुराण 9. 117, हरिवंशपुराण - 58.96