Test5
From जैनकोष
प्रमाण | प्रमाण | आबाधा काल जघन्य | आबाधा काल उत्कृष्ट | |
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1. उदय अपेक्षा | ||||
गो.क/भा.150/185 | संज्ञी पंचे. का मिथ्यात्व कर्म | समयोनमुहूर्त | 7000 वर्ष | |
मू.156/189 | आयुके बिना 7 कर्मों की सामान्य आबाधा | प्रतिसागर स्थिति पर साधिक सं.उच्छ्वास | प्रति को.को. सागर पर 100 वर्ष, ( धवला पुस्तक 6/172) | |
धवला पुस्तक 6/166/13 | आयुकर्म (बद्ध्यमान) | असंक्षेपाद्धा अंतर्मुहूर्त आ/असं. | कोडि पूर्व वर्ष/3 | |
गोम्मट्टसार कर्मकांड / मूल गाथा 917 | आयुकर्मका सामान्य नियम | आयु बंध भये पीछे शेष भुज्यमानायु | Example | |
गोम्मट्टसार कर्मकांड / मूल गाथा 916 | 92592592 16\27 कोड सा.वाला कर्म | अंतर्मुहूर्त सं. | अंतर्मुहूर्त | |
2. उदीरणा अपेक्षा | गो.मू.159 | आयु बिना 7 कर्मोंकी | आवली | X |
गो.मू.918 | बध्यमानायु | X | X |
द्रव्यास्त्रव | भावास्त्रव तत्त्वार्थसूत्र अध्याय 6/4 सर्वार्थसिद्धि अध्याय 6/4/320/8 | भावास्त्रव | ||
ईर्यापथ भावास्त्रव | सांपरायिक भावास्त्रव | |||
दृष्टि नं.1. इंद्रिय, कषाय, अव्रत और 25 क्रिया रूप भेद ( तत्त्वार्थसूत्र अध्याय 6/5), ( तत्त्वार्थसार अधिकार 4/8) | ||||
दृष्टि नं.2. मिथ्यात्व, अविरति, कषाय और योग ( बारसाणुवेक्खा गाथा 47), ( समयसार / मूल या टीका गाथा 164), ( गोम्मट्टसार कर्मकांड / मूल गाथा 786) | ||||
दृष्टि नं.3. मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग द्रव्यसंग्रह/ बृ.मू.30, अनगार धर्मामृत अधिकार 2/37 | ||||
दृष्टि नं.4. शुभ और अशुभ -- मन वचन काय रूप <span class="GRef" राजवार्तिक अध्याय 1/14/39/25 |