विदुर
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
पां.पु./सर्ग/श्लोक–भीष्म के सौतेले भाई व्यास का पुत्र। (7/117)। कौरव पांडवों के युद्ध में इन्होंने काफी भाग लिया। कौरवों को बहुत समझाया पर वे न माने। (19/187)। अंत में दीक्षित हो गये। (19/5-7)।
पुराणकोष से
कौरववंशी पाराशर के मत्स्यकुल में उत्पन्न बुद्धिमान् व्यास और रानी सुभद्रा के तीसरे पुत्र। ये धृतराष्ट्र और पांडु के छोटे भाई थे। इनका विवाह राजा देवक की कन्या कुमुद्वती के साथ हुआ था। न्यायमार्ग में स्थित पांडवों के ये परम हितैषी थे। इन्होंने कौरवों पर विश्वास न करने का पांडवों को उपदेश दिया था। पांडवों को लाक्षागृह के संकट से बचने के लिए गुप्त रूप से लाक्षागृह में इन्होंने ही सुरंग का निर्माण कराया था। इन्होंने पांडवों और कौरवों के मध्य चलते हुए विरोध को देखकर दोनों को आधा-आधा राज्य देकर संतुष्ट करने का धृतराष्ट्र को परामर्श दिया था। दुर्योधन के न मानने पर विरक्त इन्होंने मुनि विश्वकीर्ति से मुनिदीक्षा ले ली थी। हरिवंशपुराण के अनुसार इनकी माँ का नाम अंबा था। राजा दुर्योधन, द्रोण तथा दुःशासन आदि ने इन्हीं से दीक्षा ली थी। महापुराण 70.101-103, हरिवंशपुराण 45.33-34, 52.88, पांडवपुराण 7.116-117, 8.111, 12.89-109, 18.187-191, 19.6-7