त्रिगुणसारव्रत
From जैनकोष
व्रतविधान सं./५९ क्रमश: १,१,२,३,४,५,४,४,३,२,१ इस प्रकार ३० उपवास करें। बीच के १० स्थान व अन्त में एक-एक परणा करे। जाप-नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य।
व्रतविधान सं./५९ क्रमश: १,१,२,३,४,५,४,४,३,२,१ इस प्रकार ३० उपवास करें। बीच के १० स्थान व अन्त में एक-एक परणा करे। जाप-नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य।