अद्वैत नय
From जैनकोष
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / परिशिष्ट नय सं.45
निश्चयनयेन केवलबध्यमानमुच्यमानबंधमोक्षोचितस्निग्धरूक्षत्वगुणपरिणतपरमाणुवद्बंधमोक्षयोरद्वैतानुवर्ति ॥45॥
= आत्मद्रव्य निश्चयनय से बंध और मोक्ष में अद्वैत का अनुसरण करनेवाला है, अकेले बध्यमान और मुच्यमान ऐसे बंधमोक्षोचित स्निग्धत्व रूक्षत्व गुणरूप परिणत परमाणु की भाँति।
1. ज्ञान-ज्ञेय द्वैताद्वैत नय
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / परिशिष्ट नय सं.24-25 ज्ञानज्ञेयाद्वैतनयेन महदिंधनभारपरिणतधूमकेतुवदेकम् ॥24॥ ज्ञानज्ञेयद्वैतनयेन परप्रतिबिंबसंपृक्तदर्पणवदनेकं ॥25॥
= आत्म द्रव्य ज्ञान-ज्ञेय-अद्वैतनय से (ज्ञान और ज्ञेय के अद्वैतरूप नय से) महान् ईंधनसमूह रूप परिणत अग्नि की भाँति एक है ।24।
आत्म द्रव्य ज्ञान-ज्ञेय द्वैतरूपनय से, पर के प्रतिबिंबों से संपृक्त दर्पण की भाँति अनेक है ।25।