भाव पाहुड़
From जैनकोष
आ. कुन्दकुन्द (ई. १२७-१७९) कृत, जीव के शुभ अशुभ व शुद्ध भाव प्ररूपक, १६५ प्राकृत गाथाओं में निबद्ध ग्रन्थ है। इस पर आ. श्रुतसागर (ई. १४८१-१४९९) कृत संस्कृत टीका और पं. जयचन्द छाबड़ा (ई. १८६७) कृत भाषा वचनिका उपलब्ध है।(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/२/११४)