द्विपृष्ठ
From जैनकोष
―(म.पु./५८/श्लोक नं०) पूर्व भव नं.३ में भरतक्षेत्र स्थित कनकपुर का राजा ‘सुषेण’ था (६१)। पूर्वभव नं.२ में प्राणत स्वर्ग में देव हुआ। (७९)। वर्तमानभव में द्वितीय नारायण हुए।― देखें - शलाका पुरुष / ४ ।
―(म.पु./५८/श्लोक नं०) पूर्व भव नं.३ में भरतक्षेत्र स्थित कनकपुर का राजा ‘सुषेण’ था (६१)। पूर्वभव नं.२ में प्राणत स्वर्ग में देव हुआ। (७९)। वर्तमानभव में द्वितीय नारायण हुए।― देखें - शलाका पुरुष / ४ ।