भोजन
From जैनकोष
धवला 12/4,2,8,7/282/13 भुज्यत इति भोजनमोदन:; भुक्तिकारणपरिणामो वा भोजनं। ‘भुज्यते इति भोजनम्’ अर्थात् जो खाया जाता है वह भोजन है, इस निरुक्ति के अनुसार ओदन को भोजन कहा गया है। अथवा (भुज्यते अनेनेति भोजनम्) इस निरुक्ति के अनुसार आहार-ग्रहण के कारणभूत परिणाम को भी भोजन कहा जाता है।