धर्मचक्रव्रत
From जैनकोष
इस व्रत की तीन प्रकार विधि है—वृहद्, मध्यम, व लघु
- वृहद् विधि‒धर्मचक्र के १००० आरों की अपेक्षा एक उपवास एक पारणा के क्रम से १००० उपवास करे। आदि अन्त में एक एक बेला पृथक् करें। इस प्रकार कुछ २००४ दिनों में (५<img src="JSKHtmlSample_clip_image002_0050.gif" alt="" width="7" height="30" /> वर्ष में) यह व्रत पूरा होता है। त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे। (ह.पु./३४/१२४),
- मध्यम विधि‒१०१० दिन तक प्रतिदिन एकाशना करे। त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे। (व्रतविधान संग्रह/पृ.१६३); (नवलसाह कृत वर्द्धमान पुराण)
- लघु विधि‒क्रमश: १,२,३,४,५,१ इस प्रकार कुल १६ उपवास करे। बीच के स्थानों में सर्वत्र एक-एक पारणा करे। त्रिकाल नमस्कार मन्त्र का जाप्य करे। (व्रतविधान संग्रह/पृ.१६३); (किशनसिंह क्रियाकोश)।