यवमुरजक्षेत्र
From जैनकोष
( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/ प्र. 31) यह आकृति क्षेत्र के उदग्र समतल द्वारा प्राप्त छेद (Vertical section) है। इसका विस्तार 7 राजु यहाँ चित्रित नहीं है। यहाँ मुरज का क्षेत्रफल {(रा. + 1रा.)÷ 2{×14 रा.= {×14=वर्गराजु इसलिए, मुरज का घनफल घनराजु=220 घनराजु। एक यवक क्षेत्रफल=( रा.÷2)× राजु= वर्गराजु, इसलिए, 25 यव का क्षेत्रफल=× घनराजु=122 घनराजु।
अगला पृष्ठ : य]]