सहकारी
From जैनकोष
कार्तिकेयानुप्रेक्षा/218 सव्वाणं दव्वाणं जो उवयारो हवेइ अण्णोण्णं। सो चिय कारणभावो हवदि हु सहकारिभावेण।218। =सभी द्रव्य परस्पर में जो उपकार करते हैं वह सहकारी कारण के रूप में ही करते हैं। (विशेष देखें कारण - III.2.5-9)।
कार्तिकेयानुप्रेक्षा/218 सव्वाणं दव्वाणं जो उवयारो हवेइ अण्णोण्णं। सो चिय कारणभावो हवदि हु सहकारिभावेण।218। =सभी द्रव्य परस्पर में जो उपकार करते हैं वह सहकारी कारण के रूप में ही करते हैं। (विशेष देखें कारण - III.2.5-9)।