महामति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
(महापुराण/ "सर्ग/श्लोक)–महाबल भगवान् ऋषभ देव का पूर्व भव नं.1 । (5/200)। का मंत्री था। मिथ्यादृष्टि था। (4/191-192)। इसने राजा के जन्मोत्सव के अवसर पर उसके मंत्री स्वयं बुद्ध के साथ विवाद करते हुए चार्वाक मत का आलंबन लेकर जीवतत्त्व की सिद्धि में दूषण दिया था। (5/26-28)। मरकर निगोद में गया। (10/7)।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.153
(2) विजयार्ध पर्वत की अलकापुरी के राजा के जन्मोत्सव पर भूतवादी चार्वाक मत का आवलंबन लेकर मंत्री स्वयंबुद्ध द्वारा कथित जीव-तत्त्व की सिद्धि में दोष लगाये थे । अंत में यह मरकर निगोद में उत्पन्न हुआ था । महापुराण 4.111, 5.28-35, 107