अक्षोभ्य
From जैनकोष
(1) विजयार्द्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अड़तालीसवाँ नगर । महापुराण 19.85, 87
(2) मथुरा के यादववंशी नृप अंधकवृष्णि और उसकी रानी सुभद्रा का दूसरा पुत्र । समुद्रविजय इसका बड़ा भाई और स्तिमितसागर, हिमवान्, विजय, अचल, धारण, पूरण, अभिचंद्र और वसुदेव छोटे भाई थे । कुंती और माद्री इसकी दो बहिनें थी - हरिवंशपुराण 18.12-15 | इसका अपरनाम अक्षुभ्य था - हरिवंशपुराण 31.130 | उद्धव, अंभोधि, जलधि, वामदेव और दृढव्रत इसके पाँच पुत्र थे - हरिवंशपुराण 48.45 |
(3) समवसरण-भूमि के पश्चिमी द्वार के आठ नामों में पाँचवाँ नाम - हरिवंशपुराण 57.59 | देखें आस्थानमंडल
(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम - महापुराण 25.114 |