संस्तव
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/7/23/364/11 मनसा ... ज्ञानचारित्रगुणोद्भावनं प्रशंसा, भूताभूतगुोद्भाववचनं संस्तवः । = ज्ञान और चारित्र का मन से उद्भावन करना प्रशंसा है, और ... जो गुण हैं या जो गुण नहीं है इन दोनों का सद्भाव बतलाते हुए कथन करना संस्तव है । ( राजवार्तिक/7/23/1/552/12 ) ।
देखें भक्ति - 3।